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पुरानी मय

कहते हैं शराब जितनी पुरानी, उसका जायका उतना ही गहरा लगता है,
हम पलकों पे आंसू थामे सदियों से बैठे है पर फिर भी स्वाद नमकीन ही लगता
है!


कहते है यह मदिरा जब बहती है तो ज़हन भी गिला हो जाता है
हम अरसे से घूँट भरे बैठे है, पर हलक सूखा सा ही लगता
है!


कहते है यह मय जहाँ से गुजरती है, ज़ख्मो को सुखा देती है
हम दिल को उसकी हर नशीली याद में डुबाये, गीले ज़ख्म लिए बैठे है!


सुना था की हर घूँट इंसान के दर्द को भुलाता है,
हम पीकर, नींद उडाये उसके ही अक्स को आँखों में कैद किये बैठे है!

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