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Showing posts from August, 2011

चुप बैठी आज़ादी !!

शहर  की बुलंद ऊंचाइयों पे , तिरंगे  ने  जब  अंगड़ाई  छोड़ी, ज़हन में दुबके  बैठी, मेरी  स्वतंत्रता  ने अपनी  चुप्पी तोड़ी! अखबार की पंक्तियों ने मेरी समझ को जगाया, देश में घट रही कालाबाजारी, भ्रस्टाचार, अराजकता ने सबको सताया, नेताओ, अफसरों और बाबुओ ने शहीदों के बलिदान को तमाचा लगाया, आज तिरंगे को छूती फिजा ने भी अपने अस्तित्व पे प्रश्न-चिन्ह लगाया! की थी यह आज़ादी हमने, सैकड़ो वर्षो में संचित, हुयी थी दशो दिशा, हर प्रान्त में समर-ए-आज़ादी में रक्त रंजित, उसी आज़ादी का देखो कैसे भ्रस्ट संचाली ने मज़ाक उड़ाया, आज सत्ता के ठेकेदरो ने देखो कैसे हमारी आज़ादी से मुजरा करवाया! यह कैसी स्वतंत्रता, जहाँ एक के पास है प्राइवेट विमान, तो दूर कहीं भूख से आत्महत्या कर रहे हजारो किसान, एक तरफ महंगाई तले घुट रहा सबका दम, तो खा रहा एक नेता खरबों का स्पेक्ट्रुम, मर रही शिशु  और जननी बगैर इलाज़, और खा गए करोड़ों के टीके, दवा दारु डॉक्टर साहब, जहाँ उदारीकरण का तमगा लगा, काला-चोर पी रहा गरीब का खून, कर रहा खुद लूट, रिश्वतखोरी, बलात्कार देश का क़ानून! कैसे भूल गए तुम, इतिहास के पिचले पन्ने में