गए हफ़्ते बारिश की बूँदों को अलविदा कहा!!
वक़्त ज़रा तनहाइयों में गुज़रा
सूनि आँखों में शरद का रास्ता देख रहा था...
कल रात दूधिया चाँदनी और बादामी रात में यादों के मीठे चावल पकाकर बालकनी में रखे भी थे
पर..
सुबह की चीख़ती रोशनियों ने जब ज़ोर से दस्तक दी..
तो शरद की झूठी खीर को चखना भूल गया...
पर क्या हुआ शाम तो फिर भी आएगी,
दिन भर चाँद और शरद दोनो का बालकनी में इंतज़ार रहेगा...
वक़्त ज़रा तनहाइयों में गुज़रा
सूनि आँखों में शरद का रास्ता देख रहा था...
कल रात दूधिया चाँदनी और बादामी रात में यादों के मीठे चावल पकाकर बालकनी में रखे भी थे
पर..
सुबह की चीख़ती रोशनियों ने जब ज़ोर से दस्तक दी..
तो शरद की झूठी खीर को चखना भूल गया...
पर क्या हुआ शाम तो फिर भी आएगी,
दिन भर चाँद और शरद दोनो का बालकनी में इंतज़ार रहेगा...
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